वायरस ने बिगाड़ी फसल की बहार सरकार ने बचाई साख


बड़वानी     सीमांत किसान की आंस हमेशा अपने फसलों से होने वाली कमाई पर लगी रहती है। क्योंकि अच्छा उत्पादन से होने वाले लाभ से जहॉ इनका घर-परिवार चलता है, वही लिये गये ऋण को समय पर चुकाने से साख बनी रहती है। जिसके कारण सोसायटी या अन्य संस्थाओं से लिये गये ऋण की अल्टा-पल्टी होती रहती है, वही समाज में भी इज्जत बनी रहती है। किन्तु जब मौसम दगा दे जाये या वायरस से 3 एकड़ में लगी तरबूज की फसल नष्ट हो जाये और 2 एकड़ खेत में लगी लौकी का भाव कम होने से लागत निकालना मुश्किल हो जाये तो सोचे 5 एकड़ का किसान क्या करेगा। और ऐसे में जब उसे पता चले कि उसके 157989 रूपये के ऋण को म.प्र. की सरकार ने चुका कर उसे सोसायटी से नये ऋण लेने हेतु पुन: पात्र बना दिया है, तो उसकी खुशी की कल्पना करना मुश्किल है।\



    ऐसा ही वाक्या हुआ बड़वानी जिले  के ग्राम कसरावद के सीमान्त कृषक श्री तुलसीराम गिलियाजी यादव के साथ। जब उन्होने सोसायटी से 157989 रूपये का ऋण लेकर खेत में तरबूज और लौकी लगाई थी और उन्हें लागत भी नही मिल पाई, ऋण चुकाना तो दूर की बात थी। किन्तु जहॉ चाह, वहॉ राह दिखाई मध्यप्रदेश की सरकार ने, जिसने किसान फसल ऋण मापी योजना के तहत श्री तुलसीराम की ऋण ली गई समस्त 157989 की राशि माफ कर कर दी। इसका प्रभाव यह हुआ कि कृषक श्री तुलसीराम ने पुन: सोसायटी से वर्तमान में 2 लाख 7 हजार रूपये का ऋण लेकर इस बार अपनी सम्पूर्ण 5 एकड़ की जमीन पर केला की फसल लगाई है। अब उन्हें विश्वास है कि इस फसल से वे 5 से 6 लाख रूपये कमाकर जहॉ सरलता से ऋण की राशि चुका देंगे। वही अपना घर-परिवार भी बेहतर तरीके से चला लेंगे।