खुशी के लिये कम सोचें और ज्यादा जिएं

अपने भीतर झांकने पर पता चलता है कि कई तरह की तमन्नाएं और ख्वाहिशें दुबकी बैठी हैं, जो चैन से जीने नहीं देतीं। कई सवाल हैं, जिनके जवाब तक पहुंचे बिना खुशी एवं महत्वाकांक्षाएं अधूरी ही रहती है। जब दिल खुश होता है तो उसकी रौनक चेहरे पर खुद-ब-खुद झलकने लगती है और यही हमारे मंजिल के करीब होने का यथार्थ है या जीवन का सफलता की ओर बढऩे का संकेत है। लेकिन जीवन की लहरों में तरंग तभी पैदा होगी, जब आप वैसा कुछ करने को तत्पर होते हैं। सच को स्वीकारने से उससे लडऩे की क्षमता हमारे अंदर अपने आप ही पैदा हो जाती है। जरूरत है अपनी क्षमताओं को  पहचानने और उन्हें निखारने की दिशा में काम करने की।



 कितनी ही बार हम ऐसी बातों पर चिंता कर रहे होते हैं, जिनकी वास्तव में जरूरत ही नहीं होती। हम जरूरत से ज्यादा तनाव लेते हैं और बेवजह सोचते रहते हैं। दिक्कत यह है कि हम एक साथ सब साध लेना चाहते हैं। जहां खुद को धीमा करने की जरूरत होती है, हम बेचैन हो जाते हैं। लेखिका जे के रोलिंग कहती हैं, 'कितनी ही बार प्रश्न जटिल होते हैं और उनके जवाब बेहद आसान।Ó क्योंकि जीवन में सफलता एवं असफलता, सुख और दु:ख, हर्ष और विषाद साथ-साथ चलते हैं। लेकिन जीवन उनका सार्थक है जो विपरीत परिस्थितियों में भी मुस्कुरातेे हैं। मनुष्य के संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों से निकलकर सफलता तक जाने वाली हर यात्रा अनोखी और अद्वितीय होती है। बस उसके लिये एक हौसला और लक्ष्य चाहिए।
 हमारे जीवन की एक बड़ी विसंगति यह है कि जहां दिल का काम होता है, वहां हम दिमाग को ज्यादा चलाते है। हर समय दिमाग को आगे रखना समस्याएं पैदा करता है। खुशियां बेकार के डर और संदेहों की भेंट चढ़ जाती हैं। जिंदगी के कई अनुभव अनछुए ही रह जाते हैं। मोटिवेशनल स्पीकर एकार्ट टोल कहते हैं, 'दिमाग बंद करें और दिल के भीतर जाएं। कम सोचें और ज्यादा जिएं।Ó जो विपरीत हालात में धैर्य और खुदी को बुलंद रखता है, उसके रास्ते से बाधाएं हटती ही हैं, बेशक देर लग जाए। अगर पत्थर पर लगातार रस्सी की रगड़ से निशान उभर आते हैं, तो अकूत संभावनाओं से भरी इस दुनिया में क्या नहीं हो सकता? जहां सभी के लिए पर्याप्त अवसर और पर्याप्त रास्ते हैं, अक्सर हम बाधाओं से तब टकराते रहते हैं, जब सही रास्ते की तलाश कर रहे होते हैं और सही रास्ता मिलने पर सफलता की ओर हमारे पैर खुद ही बढऩे लग जाते हैं, लेकिन अक्सर इस तलाश में ही बहुत सारे लोग निराश हो जाते हैं, धैर्य खो देते हैं और किस्मत को कोसने लगते हैं।
 अक्सर जीवन में हम भंवर में फंस जाते हैं। ऐसा लगता है कि संभावनाओं से भरे हुए सारे दरवाजे बंद होते जा रहे हैं। जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है, ये वो अवसर रूपी दरवाजे होते हैं, जिनसे हमें उम्मीद होती है। अक्सर ऐसी स्थिति पहले निराश करती है, फिर कुंठा देती है और तन-मन को हताशाओं से भरने लगती है। बिखराव शुरू हो जाता है, चरित्र बदलने लगता है, लेकिन कुछ लोग इन्हीं स्थितियों में मजबूत होते हैं और खराब समय को ही अपने जीवन को स्वर्णिम ढंग से रूपांतरित करने वाला समय बना देते हैं। रिचर्ड सील ने मार्मिक कहा है कि आत्मशक्ति इतनी दृढ़ और गतिशील है कि इससे दुनिया को टुकड़ों में तोड़कर सिंहासन गढ़े जा सकते हैं।
 क्या आपने भी कभी सोचा है कि वह कौन से सवाल हैं, जो आपको चैन से जीने नहीं देते? वे कौन सी ख्वाहिशें हैं, जो आपको तसल्ली नहीं लेने देतीं? जब तक सवाल नहीं ढूंढ़ पाएंगे, तब तक जवाब के भी सिरे नहीं मिल सकते, इसलिए अपने आप से सवाल जरूर पूछिए। अपने भीतर झांके और पता लगेगा कि आप अभी भी बहुत सारी ख्वाहिशें पूरी करना चाहते हंै। मसलन, मौज-मस्ती की नहीं, सच्चे प्रेम की ही नहीं, बुलंद ऊंचाइयों और रिश्तों में सम्मान की ही नहीं बल्कि बहुत-सी महत्वाकांक्षाओं के पूरे होने की तलाश है। शेक्सपीयर कहते थे, हमारा शरीर एक बगीचे की तरह है और दृढ़ इच्छाशक्ति इसके लिए माली का काम करती है, जो इस बगिया को बहुत सुंदर और महकती हुई बना सकती है।