ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता से जुडने के बाद बदली पांचली बाई की जिंदगी


अलिराजपुर     कभी छोटी आवश्यकताओं के लिए परेशान रहने वाली पांचली एवं उनके पति भूटिया आज आत्मनिर्भर होकर खुशी खुशी अपना और परिवार का पालन पोषण कर रहे है। बीते कुछ वर्ष पूर्व करीब एक एकड भूमि पर जैसे तैसे बारिश की फसल पर निर्भर यह परिवार गुजर बसर कर रहा था। ऐसी दौरान ग्राम लौढनी में ग्रामीण आजीविका मिशन के मैदानी अमले ने गांव में दस्तक दी। पांचली बाई को बात समझ आई और वे समूह से जुड गई। सर्वप्रथम उन्होंने ग्राम में जन जागरूकता के कार्य में भागीदारी की। स्वयं के घर के साथ-साथ अन्य परिवारों में शौचालय निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाई। पांचली दीदी के पति थोडा बहुत राजमिस्त्री का कार्य जानते थे लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से संसाधनों की कमी थी। ऐसे में पाचली बहन ने समूह से 12 हजार 500 रूपये का ऋण लेकर राजमिस्त्री कार्य का सामान लिया। कुछ ही समय में उक्त सामान होने से काम मिलने लगा और आय बढने लगी तो इस ऋण राशि को चुकाकर बेटे के लिए आटा चक्की हेतु ऋण ले किया। इस कार्य से अच्छी आय होने लगी। इसी दौरान पांचली बहन ने समूहों की बैठकों और प्रशिक्षण के माध्यम से आगे बढने की राह जान ली। उन्होंने समूह सशक्तिकरण के कार्य में सक्रिय भागीदारी करते हुए दिल्ली, आंध्रप्रदेश, भोपाल सहित कई स्थानों पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लिया। इसी दौरान उन्होंने अगरबत्ती बनाने की मशीन और प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस कार्य में उनकी बहु और परिवार के अन्य सदस्य खाली समय में अगरबत्ती बनाने का कार्य करने लगे। अगरबत्ती बनाने के साथ-साथ उसे सुगन्धीत करने की विधि सीखकर वे और उनके पति भूटिया अगरबत्ती का व्यवसाय भी कर रहे है। इतना ही नहीं पाचली बहन ने परिवार की आय के साथ-साथ ग्राम की अन्य महिलाओं और ग्रामीणों को स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और बेहतर रोजगार के अवसर हेतु भी लगातार प्रोत्साहित करने का कार्य कर रही है। आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह से जुडने के पहले जमीन के छोटे से भाग पर वर्षा आधारित खेती करने वाली पांचली बहन ने स्वरोजगार गतिविधियों के माध्यम से आय प्राप्त करके ट्यूबवेल का खनन भी करा लिया और वे खरीफ के साथ-साथ रबी की फसल से भी आय प्राप्त कर रही है। साथ ही उबड-खाबड जमीन का समतलीकरण भी करा लिया है। वहीं टूटे-फूटे घर का सुधार कार्य भी कर लिया। कुछ वर्ष पूर्व तक कुछ हजार रूपये की आय प्राप्त करने वाला पांचली दीदी का परिवार वर्तमान में प्रति वर्ष एक से डेढ लाख रूपये की आय प्राप्त कर रहा है। इस संबंध में पांचली दीदी कहती है कि आजीविका मिशन के समूह से जुडने के बाद मेरी और परिवार की स्थिति बदल गई है। कभी हम परिवार के पालन-पोषण के लिए यहां वहां भटकते थे लेकिन समूह से जुडने के बाद हमारे परिवार को स्थायी आजीविका प्राप्त हुई है। पहले मैं किसी के सामने बोलने और अपनी बात रखने के लिए झिझकती थी लेकिन आज में किसी के सामने अपने बात रखने में नहीं डरती हूं। मेरे परिवार की आय में वृद्धि हुई। आजीविका मिशन की जिला प्रबंधक सुश्री शीला शुक्ला ने बताया स्वयं सहायता समूह से जुडकर पांचली दीदी ने कई स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने आत्मनिर्भर होकर आगे बढने का संकल्प लेकर संवहनीय आजीविका गतिविधियों को प्रारंभ किया और आय प्राप्त कर रही है। वे स्वयं के साथ-साथ अन्य महिलाओं और ग्रामीणों को विभिन्न तरह से जनजागरूक करने के प्रयासों को बल दे रही है। इस संबंध में कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्रीमती सुरभि गुप्ता ने कहा पांचली बाई अन्य महिलाओं के लिए रोल मॉडल है। उन्होंने स्वयं के साथ-साथ अन्य ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया, जो कि सराहनीय प्रयास है।